Expression par syntax....
Saturday, February 5, 2011
ग़ज़ल
निस्तेज
क्या हक़ीकत क्या फ़साना
आप से अब क्या छुपाना
बात तो कुछ और ही है
बन रहा है क्या बहाना
देखकर तुमको लगा है
सीख लेंगे मुस्कुराना
याद तब तब आ गये वो
सांस छेडे जब तराना ।
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