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Thursday, January 21, 2010
ग़ज़ल
घर हमारा जलाया गया
जश्न भी तो मनाया गया
रात में रोशनी ला रहे
जुगनुओं को डराया गया
है सियासत बड़ी संगदिल
प्यार भी ना समाया गया
खास हैं हम की मिटते नहीं
सौ दफे आजमाया गया
फिर ग़ज़ल दर्द से भर गयी
फिर वही दर्द गाया गया
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